विभाग के बारे में

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर
यूनानी

यूनानी चिकित्सा पद्धति का भारत में एक लंबा और प्रभावशाली इतिहास है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के संबंध में आज भारत अग्रणी देशों में से एक है क्योंकि देश में यूनानी शैक्षिक, अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों की सबसे बड़ी संख्या है। यूनानी चिकित्सा पद्धति रोगी का निदान व उपचार संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है । यूनानी चिकित्सा पद्धति में चिकित्सा पद्धति को रेजिमेनल थेरेपी (इलाज-बिल-तदबीर), डाइटोथेरेपी (इलज-बिल-ग़िज़ा), फ़ार्माकोथेरेपी (इलज-बिल-दवा) और सर्जरी (इलज-बिल-यद्) के प्रमुख शीर्षकों के तहत वर्णित किया गया है। । डाइटोथेरेपी के साथ-साथ रेजिमेनल थेरेपी को स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और बीमारी के उपचार के लिए सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।

रेजिमेनल थेरेपी:
यूनानी चिकित्सा पद्धति आहार, शारीरिक गतिविधियों, जीवनशैली और कुछ विशेष साधनों जैसा कि कपिंग(हिजामा), जोंक (तालिक), वेनेसेक्शन (फस्द), एनीमा (हुकना), इरीगेशन (नतुल), मसाज (दलक) आदि का उपयोग शरीर से रुग्णता को खत्म करने के लिए करती है।

विशेषता:
यूनानी चिकित्सा पद्धति विभिन्न रोगों विशेषकर जीर्ण रोगों के लिए सफल उपचार प्रदान करती है। इनमें सफ़ेद दाग, एक्जिमा, गंजापन, हेयर फॉल, दाद, सोरायसिस जैसे विभिन्न त्वचा रोग आदि; पाचन विकार उदा। एसिड पेप्टिक रोग, अपच, चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS), अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि; श्वसन संबंधी विकार जैसे दमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस आदि; मस्कुलो-कंकाल संबंधी विकार उदा। गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस; तंत्रिका संबंधी विकार उदा। सीने में मनोभ्रंश, पेरेसिस, पक्षाघात आदि; कार्डियो-संवहनी विकार जैसे कि उच्च रक्तचाप, इस्केमिक हृदय रोग आदि; जीवन शैली और चयापचय संबंधी विकार उदा। मोटापा, हाइपरलिपिडिमिया, गाउट, मधुमेह आदि और यौन विकार उदा। स्तंभन दोष, शीघ्रपतन, कामेच्छा में कमी आदि शामिल हैं।

ओपीडी समय:
सोम - गुरु: सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक
शुक्र - शनि: सुबह 8:30 बजे से दोपहर एक बजे तक

------------------------------------------------------------सदस्य---------------------------------------------------------

क्रमांक नाम ई–मेल पद तस्वीर

Contact

Events

About Department