दिव्यांग रोगियों की क्षमता को पहचान उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं चिकित्सकएम्स में रोगियों के पुनर्वास पर सीएमई का आयोजन · डायबिटीज के मरीजों में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया · भवन निर्माण दिव्यांगों की जरूरत के अनुसार किया जाए रायपुर, 28 फरवरी, 2020 दुर्घटना या किसी गंभीर बीमारी की वजह से दिव्यांग होने वाले रोगियों के पुनर्वास को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर में शुक्रवार को सीएमई का आयोजन किया गया। इसमें देशभर के विभिन्न मेडिकल कालेज के शारीरिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख विशेषज्ञों ने चिकित्सकों और छात्रों का आह्वान किया कि वे दिव्यांग रोगियों की अतिरिक्त शारीरिक और मानसिक क्षमता का आंकलन कर उनके पुनर्वास में मदद करें जिससे शेष जीवन में उन्हें किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़े।एम्स के पीएमआर विभाग के तत्वावधान में आयोजित ‘चैलेंजेज एंड स्कोप ऑफ रिहेब्लिटेशन’ विषयक सीएमई का उद्घाटन करते हुए सीएमसी अस्पताल, वेल्लूर के पूर्व निदेशक और प्रमुख पुनर्वास विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) सुरंजन भट्टाचार्य ने कहा कि दिव्यांगजनों की कमजोरी ही उनकी क्षमता के रूप में विकसित की जा सकती है। यह चिकित्सकों पर निर्भर करता है कि वे किस प्रकार उनकी क्षमताओं को चिह्नित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि वे दिव्यांगजनों के इलाज में लगातार स्वयं से प्रश्न करें और उपलब्ध सभी जानकारियों का विश्लेषण करने के बाद ही कोई निर्णय लें। उन्होंने भारत में उपलब्ध प्रतिभाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये प्रतिभाएं, नई तकनीक और पारिवारिक सांमजस्य दिव्यांगजनों को शेष जीवन के लिए आत्मनिर्भर बना सकता है। एम्स रायपुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने दिव्यांगजनों के पुनर्वास में एम्स के विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि पीएमआर विभाग और अन्य विभाग मिलकर रोगियों का न सिर्फ इलाज कर रहे हैं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हुए उनके पुनर्वास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने चिकित्सा छात्रों से पुनर्वास के क्षेत्र में उपलब्ध करियर का लाभ उठाने का भी आह्वान किया।डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली के प्रो. राजेंद्र शर्मा ने डायबिटीज के मरीजों और इसके आर्थोटिक प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में लगभग दस लाख लोग डायबिटीज की वजह से अपने अंग खो देते हैं। इसमें से 75 प्रतिशत को अपना पैर खोना पड़ता है। ऐसे में इन मरीजों का पुनर्वास आवश्यक है। उन्होंने डायबिटीज के मरीजों के पैरों को लगातार धोने, इन्हें साफ रखने और त्वचा को नर्म बनाए रखने जैसी सावधानी बरत कर इस अवस्था से बचने का संदेश दिया।सफदरजंग अस्पताल के प्रो. अजय गुप्ता ने गोल सेटिंग इन मैनेजमेंट ऑफ स्पासिटी पर प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग के उप-निदेशक राजेश तिवारी ने दिव्यांगजनों के लिए राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. जॉय सिंह ने भवन निर्माण के दौरान दिव्यांगजनों को मिलने वाली सुविधाएं प्रदान करने को कहा। सीएमई में प्रो. संजय वाधवा, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. करन पीपरे, एम्स के अस्थि रोग विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक अग्रवाल और आयोजन सचिव डॉ. जयदीप नंदी ने भी भाग लिया। चित्र परिचय-एम्स में शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास पर आयोजित सीएमई को संबोधित करते प्रो. सुरंजन भट्टाचार्य। मंचासीन हैं प्रो. संजय वाधवा, प्रो. नितिन एम. नागरकर, डॉ. करन पीपरे, प्रो. आलोक अग्रवाल और डॉ. जयदीप नंदी।